
नई दिल्ली। इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्राति के पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांत कि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी घरों में खिचड़ी बनाई जाती है और खिचड़ी का दान भी दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति में खिचड़ी ही क्यों बनाई जाती है कोई और पकवान क्यों नहीं बनता। आइए बताते हैं आपको इसके पीछे की रोचक कहानी।
बाबा गोरखनाथ से जुड़ी है कहानी
मकर संक्रांति के त्योहार में खिचड़ी बनाने और खिचड़ी दान करने के पीछे बाबा गोरखनाथ की एक फेमस कथा प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि जब खिलजी ने आक्रमण किया था, उस समय चारों तरफ हाहाकार मच गया था। युद्ध की वजह से नाथ योगियों को भोजन बनाने का भी समय नहीं मिल पाता था। लगातार भोजन की कमी से वे कमजोर होते जा रहे थे। नाथ योगियों की उस दशा को बाबा गोरखनाथ नहीं देख सके और उन्होंने लोगों से दाल चावल और सब्जी को एक साथ मिलाकर पकाने की सलाह दी।
बाबा की सलाह आई काम
बाबा गोरखनाथ की यह सलाह सभी नाथ योगियों के बड़े काम आई। दाल चावल और सब्जी एक साथ मिलाने से बेहद कम समय में आसानी से पक गया। इसके बाद बाबा गोरखनाथ ने ही इस पकवान को खिचड़ी का नाम दिया। खिलजी से युद्ध समाप्त होने के बाद बाबा गोरखनाथ और योगियों ने मकर संक्रांति के दिन उत्सव मनाया और उस दिन लोगों को खिचड़ी बाटी। उसी दिन से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बाटने और बनाने की प्रथा शुरू हो गई।