महज 90 सेकेंड में बताएगा मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी।

कानपुर। अच्छी पैदावार के लिए अक्सर किसान परेशान रहते हैं और बाजार में बिकने वाले पोषक तत्वों को अपने खेत में डालने का प्रयास करते हैं। इससे कभी फायदा होता है तो कभी नुकसान भी हो जाता है क्योंकि किसान को यह पता नहीं होता कि उसकी मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है। इसको देखते हुए कानपुर आईआईटी ने पोर्टेबल रैपिड मृदा परीक्षण उपकरण तैयार किया है जो महज 90 सेकेंड में मिट्टी की सेहद को बता देगा। इससे किसान आसानी से कमी वाले पोषक तत्वों का खेत में छिड़काव कर बेहतर फसल का उत्पादन ले सकेंगे।    

भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की करीब 70 फीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर रहती है और तकनीक के आभाव में किसान परंपरागत खेती करने को मजबूर रहते हैं। हालांकि धीरे-धीरे कृषि के क्षेत्र में भी तकनीक बढ़ती जा रही है, लेकिन कुछ ही फीसदी किसान तकनीकों का प्रयोग कर पाते हैं। इनमें जो करते भी हैं तो उन्हें अपनी मिट्टी की उर्वरकता को लेकर शत प्रतिशत जानकारी नहीं होती। ऐसे में किसान भाई अच्छी पैदावार के लिए बाजार की दुकानों में जो पोषक तत्व बिक रहे हैं। उनको खेतों पर डालने को मजबूर होते हैं, जिससे कभी फायदा हो जाता तो कभी नुकसान भी उठाना पड़ता है। किसानों को किसी प्रकार का नुकसान हो, इस पर शोध करके कानपुर आईआईटी के केमिकल विभाग के प्रोफेसर जयंत कुमार सिंह व उनकी टीम ने पोर्टेबल रैपिड मृदा परीक्षण उपकरण को इजाद किया है। इसका नाम भू परीक्षक रखा गया है। इस उपकरण को एंड्रायड मोबाइल के ब्लूटूथ से जोड़ा जा सकेगा और उपकरण के पांच सेंटीमीटर लंबे बेलनाकर बेस में पांच ग्राम सूखी व छनी हुई मिट्टी का नमूना डाला जाएगा। महज 90 सेकेंड में मोबाइल के स्क्रीन पर जानकारी आ जाएगी कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है।

निदेशक का कहना

आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने बताया कि एप्लीकेशन पर मौजूद स्कैन बटन क्लिक करने पर 90 सेकेंड तक उपकरण मिट्टी के नमूने का विश्लेषण करता है और फौरन मोबाइल स्क्रीन पर मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रदर्शित करता है। इस नमूने की यूनिक आईडी भी बनती है, जो भू-परीक्षक एप के क्लाउड पर सुरक्षित होती है। यही नहीं बाद में भी रिपोर्ट देखी जा सकती है। इस उपकरण के इजाद होने से किसानों को आसानी से पता चल सकेगा कि उनके खेत की मिट्टी कौन से पोषक तत्वों की कमी है। इससे उन्ही पोषक तत्वों का छिड़काव कर किसान भाई अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं। उपकरण की सफलता को लेकर एग्रोनेक्स्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने आईआईटी से उपकरण बनाने के लिए करार किया है और जल्द ही किसान भाइयों को यह उपकरण आसानी से उपलब्ध होने लगेगा। बताया कि उपकरण के एप्लीकेशन स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध हैं ताकि कम पढ़े लिखे किसान भी प्रयोग कर सकें।

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